कृष्ण भजनफिल्मी तर्ज भजनसौरभ मधुकर

दुनिया से मैं हारा हूँ तकदीर का मारा हूँ भजन लिरिक्स

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दुनिया से मैं हारा हूँ,
तकदीर का मारा हूँ,
जैसा भी हूँ अपना लो,
मैं बालक तुम्हारा हूँ।।

तर्ज – एक प्यार का नगमा है।



पापों की गठरी ले,

फिरता मारा मारा,
नहीं मिलती है मंजिल,
नहीं मिलता किनारा,
नहीं कोई ठिकाना है,
मैं तो बेसहारा हूँ,
जैसा भी हूँ अपना लो,
मैं बालक तुम्हारा हूँ।

दुनिया से मै हारा हूँ,
तकदीर का मारा हूँ,
जैसा भी हूँ अपना लो,
मैं बालक तुम्हारा हूँ।।



दुनिया से जो माँगा,

मिलती रुसवाई है,
तेरे दर पे सुनते है,
होती सुनवाई है,
दुःख दूर करो मेरे,
मैं भी दुखियारा हूँ,
जैसा भी हूँ अपना लो,
मैं बालक तुम्हारा हूँ।

दुनिया से मै हारा हूँ,
तकदीर का मारा हूँ,
जैसा भी हूँ अपना लो,
मैं बालक तुम्हारा हूँ।।



कोशिश करते करते,

नहीं नांव चला पाया,
आखिर मै थक करके,
तेरे द्वार पे मै आया,
इस ‘श्याम’ को तारोगे,
तुझे दिल से पुकारा है,
जैसा भी हूँ अपना लो,
मैं बालक तुम्हारा हूँ।

दुनिया से मै हारा हूँ,
तकदीर का मारा हूँ,
जैसा भी हूँ अपना लो,
मैं बालक तुम्हारा हूँ।।


Shekhar Mourya

Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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