मेरा तार हरी से जोड़े ऐसा कोई संत मिले भजन लिरिक्स

मेरा तार हरी से जोड़े,
ऐसा कोई संत मिले।।



टुटा तार हुआ अँधियारा,

हरि दिखे ना हरी का द्वारा,
मेरा बिछड़ा मीत मिला दे,
ऐसा कोई संत मिले,
मेरा तार हरी से जोड़े,
ऐसा कोई संत मिले।।



जोड़े तार करे उजियारा,

अंतर में ना रहे अँधियारा,
मेरा आतम रूप लखा दे,
ऐसा कोई संत मिले,
मेरा तार हरी से जोड़ें,
ऐसा कोई संत मिले।।



जब मैं अटकू जब मैं भटकु,

हरि के मिलन को जब में तड़पुं,
मेरी बाह पकड़ के मिला दे,
ऐसा कोई संत मिले,
मेरा तार हरी से जोड़ें,
ऐसा कोई संत मिले।।



हँसा हस कर जाए हमारा,

माया जाल ना फसे बिचारा,
मेरे हंस को मोती चुगा दे,
ऐसा कोई संत मिले,
मेरा तार हरी से जोड़ें,
ऐसा कोई संत मिले।।



निज में निज का बोध करा दे,

हरे पाप हरिहर से मिला दे,
मेरी सीधी बात करा दे,
ऐसा कोई संत मिले,
मेरा तार हरी से जोड़ें,
ऐसा कोई संत मिले।।


By Shekhar Mourya

Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

3 thoughts on “मेरा तार हरी से जोड़े ऐसा कोई संत मिले भजन लिरिक्स”

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