मारवाड़ जोधाणा खेजड़ली गांव रे,
बिश्नोई अमृता,
छाती फुल जावे थारे नाम सु,
बिश्नोई घर जाई,
सतवंती अमृता नार रे।।
1730 माही जोधाणे गढ़ निव लगाई,
अभय सिंह हुक्म चालयो,
हलकारो खेजडली आयो,
चुनो पकावाण ताई,
रुख कटान री तैयारी,
अमृता आगे आई,
रुख काटो मत भाई,
बरजण लागी अमृता नार रे,
बिश्नोई घर जाईं,
सतवंती अमृता नार रे।।
हुकुम राजा रो लायो
घाव खेजड़ली रे करियो,
आई अमृता देवी,
मत कर हलकारा अन्याई,
हलकारे घणी समझाई,
नहीं मानें बिश्नोई री जाई,
हट जा बिश्नोई नारी,
तेरी चालें ना कोई,
चिपक गई खेजड़ी रे जाय रे,
बिश्नोई घर जाईं,
सतवंती अमृता नार रे।।
अमृता शिश कटायो,
बिश्नोई रो धर्म निभायो,
363 नर नारी,
खडाणो खेजडली में भारी,
अमृता सती होई जावे,
सिर साठे रुख बचावें,
रक्षक भक्षक बनियों,
मनमानियो राज चलावे,
खेजड़ी रे पीछे बलिदान रे,
जोधाणे रा राजा,
भूल गए तो इंसान रे।।
भुप जलनाडी आयो,
देख राजा पछतायो,
माफ करो बिश्नोई,
जाभाणी रे शरण में आयो,
पत्र तांबा रो दियों,
राज्य वृक्ष खेजड़ी बनायो,
शहिदा रो मान करायो,
स्वर्ण अक्षर नाम लिखायो,
भुल सुधारों बिश्नोई समाज रे,
बिश्नोई अमृता,
नारी भारत में तु महान रे।।
भादवा दशम उजाली,
खेजडली शहिद निशानी,
शहिदा ने शिश झुकावा,
खेजड़ी रो रुख बचावा,
आगे बिश्नोई आवे,
जद कोई जिव सतावे,
अशोक पंडित गावें,
अमृता री याद दिलावे,
जाभाणी ने निवण प्रणाम रे,
बिश्नोई अमृता,
चहुं दिश में गुंजे थारो नाम रे।।
मारवाड़ जोधाणा खेजड़ली गांव रे,
बिश्नोई अमृता,
छाती फुल जावे थारे नाम सु,
बिश्नोई घर जाई,
सतवंती अमृता नार रे।।
गायक – अशोक पंडित, परमिला परमार।
9166382292