मैं तेरी शरण में आया,
गुरुजी आस करके,
मुझ दुखिया पै दया करो,
नै दास करकै।।
तर्ज – मेरे दिल नै करग्या घायल।
हाथ जोडकै अर्ज करुं,
गुरु चन्द्रमोहन आज मैं,
तेरे नाम का भजन करुंगा,
करता हुं इकरार मैं,
घणी दुर तै आया गुरु जी,
अलुपुर दरबार में,
पैरों में पड रहे छाले,
आया बाट चलकै,
मुझ दुखिया पै दया करो,
नै दास करकै।।
सुबक सुबक कै रोउं सु,
मेरे नैना बरसै नीर हो,
गुरु चन्द्रमोहन आकै नै,
मेरी बंधा दिये तु धीर हो,
प्रभु रामलाल नै संग मै ल्याकै,
बदल दिये तक़दीर हो,
मन्नै ठा छाती कै लाले,
सिर पै हाथ धरकै,
मुझ दुखिया पै दया करो,
नै दास करकै।।
राई को पर्वत कर सकते,
पर्वत को करदे राई,
जंगल में मंगल करदे,
नाम तेरा है सुखदाई,
म्हारा भी उद्धार करो,
बोहत मुसीबत सिर ठाई,
मन्नै खाली मतन्या भेजिए,
नाराज करकै,
मुझ दुखिया पै दया करो,
नै दास करकै।।
तेरी शरण मै राख लिए,
मन्नै योहे शान भतेरा सै,
मात पिता और भाई बहण नै,
एक सहारा तेरा सै,
कह संतोष होया बंद रास्ता,
दिखै घोर अंधेरा सै,
मेरी किस्मत के पट खोल,
ह्रदय वास करकै,
मुझ दुखिया पै दया करो,
नै दास करकै।।
मैं तेरी शरण में आया,
गुरुजी आस करके,
मुझ दुखिया पै दया करो,
नै दास करकै।।
गायक – प्रमाल शर्मा नराणीया।