जीवन है चार दिन का,
एक रोज सब को जाना,
सामान सौ बरस का,
पल का नहीं ठिकाना,
जीवन है चार दिन का।।
तर्ज – मुझे इश्क है तुझी से।
मलमल के रोज साबुन,
चमका रहा है जिसको,
इत्रों फुलेल से तू,
महक रहा है जिसको,
काया ये खाक होगी,
ये बात ना भूलाना,
सामान सौ बरस का,
पल का नहीं ठिकाना,
जीवन है चार दिन का।।
जीवन हैं चार दिन का,
एक रोज सब को जाना,
सामान सौ बरस का,
पल का नहीं ठिकाना,
जीवन है चार दिन का।।
मन है हरी का मंदिर,
इसको निखार ले तू,
कर कर के कर्म अच्छे,
जीवन सवार ले तू,
पापो से मन हटा ले,
प्रभु को अगर है पाना,
सामान सौ बरस का,
पल का नहीं ठिकाना,
जीवन है चार दिन का।।
जीवन हैं चार दिन का,
एक रोज सब को जाना,
सामान सौ बरस का,
पल का नहीं ठिकाना,
जीवन है चार दिन का।।
एक रोज होगी जर्जर,
कंचन सी तेरी काया,
तिनका तलक भी तुझसे,
ना जायेगा हिलाया,
रह जायेगा यही पर,
धन महल और खजाना,
सामान सौ बरस का,
पल का नहीं ठिकाना,
जीवन है चार दिन का।।
जीवन हैं चार दिन का,
एक रोज सब को जाना,
सामान सौ बरस का,
पल का नहीं ठिकाना,
जीवन है चार दिन का।।
साथी है दो घड़ी के,
कहता है जिनको अपना,
जग नींद से ओ मुरख,
जग रेन का है सपना,
गाए जा ज्ञान निश दिन,
हरी नाम का तराना,
सामान सौ बरस का,
पल का नहीं ठिकाना,
जीवन है चार दिन का।।
जीवन हैं चार दिन का,
एक रोज सब को जाना,
सामान सौ बरस का,
पल का नहीं ठिकाना,
जीवन है चार दिन का।।
जीवन है चार दिन का,
एक रोज सब को जाना,
सामान सौ बरस का,
पल का नहीं ठिकाना,
जीवन है चार दिन का।।
Singer : Pandit Gyanendra Sharma
https://youtu.be/AwvbgDf1YWk