रख लो बाबा रख लो बाबा,
श्याम हमें,
खाटू नगर खाटू नगर।।
तर्ज – परदेसी परदेसी जाना।
ग्यारस मेला बाबा जब भी जाता है,
बारस को दिल भर भर कर ये आता है,
तोरण द्वार पे वापिस जब भी आते है,
आँखो से असुवन की धार बहाते है,
कैसी ये बाबा तुमने रीत बनाई,
मुश्किल है मांगना बाबा तुमसे बिदाई,
रखलों बाबा रख लो बाबा,
श्याम हमें,
खाटू नगर खाटू नगर।।
पल पल हर पल याद तेरी तड़पाती है,
याद में तेरे पल भर नींद न आती है,
दर्द जुदाई का हम सह नही पाएंगे,
ऐसे हाल में तुम भी रह नही पाओगे,
मेरे खाटू वाले बाबा गले से लगालो,
सबको निभाते हो तुम मुझे भी निभा लो,
रखलों बाबा रखलों बाबा,
श्याम हमें,
खाटू नगर खाटू नगर।।
हर महीना जब तेरी ग्यारस आती है,
भक्तो की तो भीड़ बहुत बढ़ जाती है,
लिखती है ‘खुशबु’ बाबा जरा ध्यान तो दो,
‘तुषार’ पे भी रखो कृपा उद्धार करो,
हर ग्यारस को मेरे बाबा खाटू बुलाना,
मुझे याद रखना कही भूल न जाना,
रखलों बाबा रख लो बाबा,
श्याम हमें,
खाटू नगर खाटू नगर।।
रखलों बाबा रख लो बाबा,
श्याम हमें,
खाटू नगर खाटू नगर।।
स्वर – तुषार मिश्रा।
प्रेषक – खुशबु अग्रवाल।