बाबा ओ बाबा भूलूँ ना द्वारा,
छोड़ा जगत ने तो दिया था सहारा,
दिया मान सम्मान ऐ श्याम,
तू पहचान बन गया,
तू पहचान बन गया।।
भटका कभी तो रस्ता दिखाया,
जब भी गिरा तो हाथ बढ़ाया,
चोट लगी तो मरहम बना तू,
बाप के जैसा फ़र्ज निभाया,
मेरा ठिकाना तेरा ही द्वारा,
तू ही मान सम्मान ऐ श्याम,
मेरी मुस्कान बन गया,
मेरी मुस्कान बन गया,
बाबा ओ बाबा भूलू ना द्वारा,
छोड़ा जगत ने तो दिया था सहारा,
दिया मान सामान ये श्याम,
तू पहचान बन गया,
तू पहचान बन गया।।
उसकी उड़ाने क्या कोई रोके,
जिसको दिए है पंख दो तूने,
वेग के जैसे संग मेरे तू,
इनकी खबर क्या होगी उन्हें,
मै क्यों डरूंगा संग जो तू है,
मेरी आन मेरी शान ऐ श्याम,
तू ही अब ईमान बन गया,
तू ही अब ईमान बन गया,
बाबा ओ बाबा भूलू ना द्वारा,
छोड़ा जगत ने तो दिया था सहारा,
दिया मान सम्मान ऐ श्याम,
तू पहचान बन गया,
तू पहचान बन गया।।
आँखों का मेरे नूर है तू ही,
दिल का मेरे अरमान है तू ही,
सांसो की मेरी आहट तू ही है,
इस जिस्म की तो जान है तू ही,
‘निर्मल’ कहे ये सुन ले कन्हैया,
जिन्दगी में कमी अब नहीं,
साथी जो श्याम बन गया,
साथी जो श्याम बन गया,
बाबा ओ बाबा भूलू ना द्वारा,
छोड़ा जगत ने तो दिया था सहारा,
दिया मान सम्मान ऐ श्याम,
तू पहचान बन गया,
तू पहचान बन गया।।
बाबा ओ बाबा भूलूँ ना द्वारा,
छोड़ा जगत ने तो दिया था सहारा,
दिया मान सम्मान ऐ श्याम,
तू पहचान बन गया,
तू पहचान बन गया।।