कभी ये गम में कभी ख़ुशी में,
निकल ही जाते है चार आंसू,
मगर कन्हैया तेरे प्यार में,
निकले है बेशुमार आंसू।।
तर्ज – जिलाह – ए – मस्कीन
(सुनाई देती है जिसकी धड़कन।)
है श्याम तेरे सिवा जहाँ में,
मिलाना कोई भी यार ऐसा,
जो आके मुझसे ये पूछ लेता,
क्यों आये आँखों में यार आंसू।।
समझ के चरणों का दास तुमने,
सदा ही मुझको दिया सहारा,
कभी जो दुःख ने भिगोई आँखे,
तुम ही ने पोछे दातार आंसू।।
मै श्रद्धा से प्यार में भिगोकर,
चढ़ा रहा हूँ तुम्हे जो मोती,
ये है गजेसिंग की श्रुद्ध पूंजी,
ना लाया कोई उदार आंसू,
कभी ये गम में कभी ख़ुशी में,
निकल ही जाते है चार आंसू,
मगर कन्हैया तेरे प्यार में,
निकले है बेशुमार आंसू।।
कभी ये गम में कभी ख़ुशी में,
निकल ही जाते है चार आंसू,
मगर कन्हैया तेरे प्यार में,
निकले है बेशुमार आंसू।।
Singer : Mukesh Bagda