थे खाटू मे अवतार लियो,
हो अहिलवती थारो लाल अठै,
हो लिले रो असवार अठै,
ओ भक्ता रो प्रतिपाल अठै,
ओ बाबो लखदातार अठै।।
तर्ज – मायड़ थारो पूत।
मे बाच्यो हैं ईतहासा मे,
थारो मन्दिर बडो निरालो हैं,
खाटू मे थारो धाम बण्यो,
भक्ता ने लागे प्यारो हैं,
पैदल चलकर द्वारे आवे,
भक्त करे जयकार अठै,
हो लिले रो असवार अठै,
ओ भक्ता रो प्रतिपाल अठै,
ओ बाबो लखदातार अठै।।
फागुन शुख्ला ग्यारस को,
थारे मेलो भरीजे भारी हैं,
दूर दूर से दर्शन करने,
आव नर ओर नारी हैं,
भक्ता का दुख: दूर करे,
भक्त करे अरदास अठै,
हो लिले रो असवार अठै,
ओ भक्ता रो प्रतिपाल अठै,
ओ बाबो लखदातार अठै।।
श्याम धणी के मन्दिर माही,
भक्त खड्या जैयकार करे,
आलू सिंग चरना को चाकर,
द्वारे थारे आन पडे,
श्याम सखा मडंल गावे,
कानो थारा भजन करे,
हो लिले रो असवार अठै,
ओ भक्ता रो प्रतिपाल अठै,
ओ बाबो लखदातार अठै।।
थे खाटू मे अवतार लियो,
हो अहिलवती थारो लाल अठै,
हो लिले रो असवार अठै,
ओ भक्ता रो प्रतिपाल अठै,
ओ बाबो लखदातार अठै।।
– भजन प्रेषक एवं गायक –
K.l.Dadhich
9352959160