हंसा निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर।
दोहा – लुट सके तो लुट ले और,
राम नाम धन लूट,
पीछे फिर पछतावनो,
तेरो प्राण जायेगो छुट।
कबीर कुआ एक है,
और पनिहारी अनेक,
बर्तन सबके न्यारे न्यारे,
पानी सब में एक।
हंसा निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर,
औ भवरा निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर।।
हां जब यम जीव को लेने आये,
नैना धर्यो नही धीर,
मार-मार कर प्राण निकाले,
नैना बरेश्यो नीर,
हँसा निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर।।
हां कोई मनाया देवी देवता,
कोई मनाया पीर,
आया बुलावा उस घर का रे,
जाने पड़ेला आखिर,
भवरा निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर।।
कोई रोवे मल मल रोवे,
अरे कोई ओडावे चीर,
चार जना मिल मतो उपायो,
ले गया गंगा तीर,
हँसा निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर।।
माल खजाना कोई न ले जाए,
संग चले ना शरीर,
जाय जंगल चीता लगाईं,
कह गए दास कबीर,
हँसा निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर।।
धन दौलत की क्या कहो,
संग जावे नहीं सरीर,
जा मरघट में चिता जलाई,
कह गए दास कबीर,
हँसा निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर।।
हंसा निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर,
औ भवरा निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर।।
– भजन प्रेषक –
विकास कुमार सालवी
(खड़ बामनिया)
9672498466
Bahut achha bhajan hai manav jivan ki saty kahani hai
Bhahut aachya hai ye bjn writting me chahiye
Bhajan