हर पल आठो याम,
हरि नाम भजो,
हरदम सुबहो शाम,
हरि नाम भजो,
हर पल आठों याम,
हरि नाम भजो।।
तर्ज – पल पल दिल के पास।
धन दौलत से कोई,
भव पार नही होता,
जो गुरू शरण आए,
भव पार वही होता,
नित सतगुरु की नैया तो,
उस पार जाती है,
जो साधक है उनको,
भव पार करती है,
बैठो प्राणी तुम भी,
ये नाव जाती है,
हर पल आठों याम,
हरि नाम भजो।।
कुछ करना है तुझको,
तो आज ही करले,
कल का भरोसा क्या,
हरि नाम तु भजले,
सँतो की वाणी को,
मन मे उतार ले,
वाणी पे अमल करलो,
हो जाए उद्वार रे,
यह मै नही कहता,
सँतो की वाणी है,
हर पल आठों याम,
हरि नाम भजो।।
सतसँग सुन सुन कर,
करले इक्टठा धन,
पावन हो जाएगा,
तेरा ये तन और मन,
दुनिया की झँझट से,
भी तू बच जाएगा,
यमलोक को प्राणी,
फिर तू न जाएगा,
भजले तू सतगुरू को,
यह स्वाँस जाती है,
हर पल आठों याम,
हरि नाम भजो।।
हर पल आठो याम,
हरि नाम भजो,
हरदम सुबहो शाम,
हरि नाम भजो,
हर पल आठों याम,
हरि नाम भजो।।
– भजन लेखक एवं प्रेषक –
श्री शिवनारायण वर्मा,
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