बाबा जगराते में आइये हो,
भक्तां का मान बढाईये हो,
हो मेरे राम आवंगे हो,
मेरे घनश्याम आवंगे,
बाबा जगराते में आइये हो,
भक्तां का मान बढाईये हो।।
बाबा काम नहीं स थारे हो गणां का,
मन्नै रोट लगाया सवा मणां का,
तुं आ क भोग लगाईये हो,
भक्तां का मान बढाईये हो,
बाबा जगराते में आइये हों,
भक्तां का मान बढाईये हो।।
हो बाबा ना चाहिये धन माया हो,
मन्नै या करी निरोगी काया हो,
तन्नै बस आ क दर्श दिखाईये हो,
भक्तां का मान बढाईये हो,
बाबा जगराते में आइये हों,
भक्तां का मान बढाईये हो।।
बाबा तुं सुना रघुनाथ बिना सुणया,
वो सुना तेरे साथ बिना,
भक्ति का ढंग बताईये हो,
भक्तां का मान बढाईये हो,
बाबा जगराते में आइये हों,
भक्तां का मान बढाईये हो।।
अशोक भक्त तन्नै बुला ए रहा,
वो मोह संसार न भुला रहैया,
उसका भाग जगाईये हो,
भक्तां का मान बढाईये हो,
बाबा जगराते में आइये हों,
भक्तां का मान बढाईये हो।।
बाबा जगराते में आइये हो,
भक्तां का मान बढाईये हो,
हो मेरे राम आवंगे हो,
मेरे घनश्याम आवंगे,
बाबा जगराते में आइये हो,
भक्तां का मान बढाईये हो।।
गायक – नरेन्द्र कौशिक।
भजन प्रेषक – राकेश कुमार जी,
खरक जाटान(रोहतक)
( 9992976579 )