हरि नाम सुमरले बन्दे,
जीवन को सफल बनाले,
कट जाएंगे सारे बँधन,
गुरू चरणो मे मन को लगाले,
हरि नाम सुमरले बन्दें,
जीवन को सफल बनाले।।
तर्ज – चल प्रेम नगर जाएगा।
पाया है जो नर तन को तू,
क्या नाम तूने कमाया है,
अरे मछरख को हीरा मिला,
माटी मे ही मिलाया है,
तू ने करली मैली चुनरिया,
श्री सतगुरु जी से धुलाले,
हरि नाम सुमरले बन्दें,
जीवन को सफल बनाले।।
अब तक यूँ ही फिरता रहा,
घर वालो की चाहत मे,
यूँ ही गँवा तू ने दिया,
अपना समय नाहक मे,
कोई साथ नही जाजगा,
मतलव के है जग वाले,
हरि नाम सुमरले बन्दें,
जीवन को सफल बनाले।।
जिसने जनम तुझको दिया,
उसको भी तो सुमर प्यारे,
लेते शरण उनको प्रभू,
आजाए जो इनके द्वारे,
तुझ पर भी एक दिन कृपा,
कर देगे नँगली वाले,
हरि नाम सुमरले बन्दें,
जीवन को सफल बनाले।।
हरि नाम सुमरले बन्दे,
जीवन को सफल बनाले,
कट जाएंगे सारे बँधन,
गुरू चरणो मे मन को लगाले,
हरि नाम सुमरले बन्दें,
जीवन को सफल बनाले।।
– भजन लेखक एवं प्रेषक –
श्री शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923
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