तु बणा दुज का चांद,
बाबा नजर कदै ना लागे,
तेरः नजर कदे ना लागे,
तेरः नजर कदे ना लागे,
तुं बणा दुज का चांद,
बाबा नजर कदै ना लागे।।
मैं हरियाणे तं आया,
तेरा रूप देख चकराया,
तेरी बाकी टेढ़ी चितवन,
तेरा मुखड़ा खुब लुभाया,
तेरे घणे निराले ठाठ,
बाबा नजर कदे ना लागे।
तुं बणा दुज का चांद,
बाबा नजर कदै ना लागे।।
या मकराणे की कोठी,
तेरी अंखियां मोटी मोटी,
चुपके से धीरे धीरे,
भक्तां में फेंकः गोटी,
तेरः गदा विराजै हाथ,
बाबा नजर कदे ना लागे।
तुं बणा दुज का चांद,
बाबा नजर कदै ना लागे।।
तन्नै देख क बाबा,
मेरे दिल की खिलगी डोरी,
ये जन्म जन्म से बाबा,
तेरे से बंधगी डोरी,
तुं भोत बड़ा दातार,
बाबा नजर कदे ना लागे।
तुं बणा दुज का चांद,
बाबा नजर कदै ना लागे।।
नींबु मिर्ची बंधवाले,
काला टीका लगवाले,
ये हरश सांवरा खुद को,
नजरों से आज बचाले,
तेरे रूतबे की क्या बात,
बाबा नजर कदे ना लागे।
तुं बणा दुज का चांद,
बाबा नजर कदै ना लागे।।
तु बणा दुज का चांद,
बाबा नजर कदै ना लागे,
तेरः नजर कदे ना लागे,
तेरः नजर कदे ना लागे,
तुं बणा दुज का चांद,
बाबा नजर कदै ना लागे।।
गायक – नरेन्द्र कौशिक।
भजन प्रेषक – राकेश कुमार जी,
खरक जाटान(रोहतक)
( 9992976579 )