तेरे दर की जगत में है महिमा सुनी,
द्वार से तेरे कोई न खाली गया,
जिसने जो माँगा तुमने उसे दे दिया,
द्वार से तेरे कोई न खाली गया।।
तर्ज – हाल क्या है दिलो का।
रिद्धि सिद्ध के दाता कहे जग तुम्हे,
पूजता सबसे पहले है यह जग तुम्हे,
कोई कहता गजानन कोई गणपति,
गिरिजा छैया सभी के तू मन भा गया।
तेरे दर की जगत में हैं महिमा सुनी,
द्वार से तेरे कोई न खाली गया।।
माता गौरा के तुम हो दुलारे प्रभू,
भोले बाबा के तुम तो हो प्यारे प्रभू,
तेरी कृपा गजानन हो जिस पर प्रभू,
भव सागर से फिर पार वो हो गया।
तेरे दर की जगत में हैं महिमा सुनी,
द्वार से तेरे कोई न खाली गया।।
तीनो लोको मे महिमा निराली तेरी,
महिमा जाए बखानी न दाता तेरी,
मेरे दाता दयालू दया मुझपे कर,
आज मै भी तेरे द्वार पर आ गया।
तेरे दर की जगत में हैं महिमा सुनी,
द्वार से तेरे कोई न खाली गया।।
तेरे दर की जगत में है महिमा सुनी,
द्वार से तेरे कोई न खाली गया,
जिसने जो माँगा तुमने उसे दे दिया,
द्वार से तेरे कोई न खाली गया।।
– भजन लेखक एवं प्रेषक –
श्री शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923
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