एक दिन सीता जी से रघुवर,
बोले भरे दरबार में,
हनुमान सा ना देखा,
मैंने इस संसार में,
हनुमान सा ना देखा,
मैंने इस संसार में।।
देखे बड़े तपस्वी,
बड़े बड़े कई ज्ञानी,
बल बुद्धि विद्या में,
इसका नहीं कोई सानी,
दिखने में सब भले है लगते,
स्वारथ है व्यवहार में,
हनुमान सा ना देखा,
मैंने इस संसार में,
हनुमान सा ना देखा,
मैंने इस संसार में।
इक दिन सीता जी से रघुवर,
बोले भरे दरबार में,
हनुमान सा ना देखा,
मैंने इस संसार में।।
आठो पहर में देखो,
सेवा को तैयार है,
चाहे जैसा काम हो,
करता ना इंकार है,
इनकी सेवा का क्या कहना,
शब्द नहीं मेरे पास में,
हनुमान सा ना देखा,
मैंने इस संसार में,
हनुमान सा ना देखा,
मैंने इस संसार में।
इक दिन सीता जी से रघुवर,
बोले भरे दरबार में,
हनुमान सा ना देखा,
मैंने इस संसार में।।
कलयुग तेरे नाम है,
ये मेरा वरदान है,
ऐसे भक्त पे सीता सुन,
मुझको तो अभिमान है,
बांध लिया है मुझको ‘मोहित’,
इसने अपने प्यार में,
हनुमान सा ना देखा,
मैंने इस संसार में,
हनुमान सा ना देखा,
मैंने इस संसार में।
इक दिन सीता जी से रघुवर,
बोले भरे दरबार में,
हनुमान सा ना देखा,
मैंने इस संसार में।।
एक दिन सीता जी से रघुवर,
बोले भरे दरबार में,
हनुमान सा ना देखा,
मैंने इस संसार में,
हनुमान सा ना देखा,
मैंने इस संसार में।।
Singer : Mukesh Bagda