बरसाने की राधे रानी झूमें,
श्याम मुरलिया पे,
श्याम मुरलिया पे अरे,
मोहन की मुरलिया पे,
बरसाने की राधे रानी झूमें,
श्याम मुरलिया पे।।
तर्ज – मेरे उठै विरह की पीर।
वृंदावन की गली गली में,
रास रचाते हो,
वृंदावन की गली गली में,
रास रचाते हो,
मेरे कान्हा की पटरानी झूमें,
श्याम मुरलिया पे,
बरसाने की राधा रानी झूमें,
श्याम मुरलिया पे।।
ग्वालिन से तुम छीन छीन कर,
माखन खाते हो,
ग्वालिन से तुम छीन छीन कर,
माखन खाते हो,
ब्रज की महारानी झूमें,
श्याम मुरलिया पे,
बरसाने की राधा रानी झूमें,
श्याम मुरलिया पे।।
गाय चराने यमुना तट पर,
मोहन जाते हो,
गाय चराने यमुना तट पर,
मोहन जाते हो,
कान्हा की प्रेम दीवानी झूमें,
श्याम मुरलिया पे,
बरसाने की राधा रानी झूमें,
श्याम मुरलिया पे।।
बरसाने की राधे रानी झूमें,
श्याम मुरलिया पे,
श्याम मुरलिया पे अरे,
मोहन की मुरलिया पे,
बरसाने की राधे रानी झूमें,
श्याम मुरलिया पे।।
– लेखक एवं प्रेषक –
श्री विष्णु जाट।
Ph 8006175301
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