चिठ्ठी लिख दी किशोरी जी के नाम,
बुला लो मुझे बरसाना,
हो ना जाये जीवन की शाम,
बसा लो मुझे बरसाना।।
लिख डाला मोपे क्या क्या बीती,
इक इक लिख दी,
गलती जो की थी,
अब कुछ भी हो अंजाम,
बुला लो मुझे बरसाना,
हो ना जाये जीवन की शाम,
बसा लो मुझे बरसाना।।
तेरी मेरी प्रीत न हो जग ज़ाहिर,
ब्रज मंडल से निकलूं जो बाहर,
छूट जाए मेरे तन सो प्राण,
बुला लो मुझे बरसाना,
हो ना जाये जीवन की शाम,
बसा लो मुझे बरसाना।।
जग में रहकर भजन ना होवे,
दुनिया से हरिदासी रोवे,
मेरी विनती लीजो मान,
बसा लो मुझे बरसाना,
हो ना जाये जीवन की शाम,
बसा लो मुझे बरसाना।।
चिठ्ठी लिख दी किशोरी जी के नाम,
बुला लो मुझे बरसाना,
हो ना जाये जीवन की शाम,
बसा लो मुझे बरसाना।।
स्वर – साध्वी पूर्णिमा दीदी जी।