सुन लो श्याम कन्हाई,
दीवानी तेरे दर पे है आई,
दर पे है आई, कान्हा,
दर पे है आई,
दर पे है आई, कान्हा,
दर पे है आई,
कर लो मेरी भी सुनाई,
दीवानी तेरे दर पे है आई।।
तर्ज – लल्ला की सुन के मैं आई।
मैंने सुनी है तेरी जग में बड़ाई,
मैंने सुनी है तेरी जग में बड़ाई,
करते हो तुम कान्हा सबकी सहाई,
करते हो तुम कान्हा सबकी सहाई,
मैंने भी अरज लगाई,
दीवानी तेरे दर पे है आई।।
मैं नही जानू कान्हा जप तप पूजा,
मैं नही जानू कान्हा जप तप पूजा,
तेरे सिवा मेरा कोई नही दूजा,
तेरे सिवा मेरा कोई नही दूजा,
तुम से ही मैंने लौ लगाई,
दीवानी तेरे दर पे है आई।।
मैं नही कान्हा तेरी कर्मा बाई,
मैं नही कान्हा तेरी कर्मा बाई,
ना ही मीरा जैसी प्रीत रचाई,
ना ही मीरा जैसी प्रीत रचाई,
कहते रवि छवि भाई,
दीवानी तेरे दर पे है आई।।
सुन लो श्याम कन्हाई,
दीवानी तेरे दर पे है आई,
दर पे है आई, कान्हा,
दर पे है आई,
दर पे है आई, कान्हा,
दर पे है आई,
कर लो मेरी भी सुनाई,
दीवानी तेरे दर पे है आई।।
स्वर – तृप्ति जी शाक्या।