गुरु कथन ने ऊ नही माने,
मनमानी रे करनी ने करतो,
उस मालिक ने दोष मत दीज्यो,
कर्मा रा र फल उ भरतो।।
हे पानी भरती नार निरखतो,
उ कर्मा ने उ करतो,
उ कर्मा सु बणयो रे कागलो,
काव काव करतो फिरतो।।
हे साँझ पडया या नार भटकती,
ये कर्मा ने वा करती,
ये कर्मा सु बणी रे गण्डकडी,
गलया गलया रोती फरती।।
हे पति के छाने खावे चुराकर,
ये कर्मा ने वा करती,
ये कर्मा सु बणी र बिलयाई,
घरा घरा रोती फरती।।
हे गरु ग्यान ने उ नही जाने,
घणा रे नखरा उ करतो,
ये कर्मा सु बणयो र बांदरो,
डाल डाल रोतो फरतो।।
हे राम भजन ने उ नही गावे,
सतसंग ने रे न सुणतो,
रामानन्द केवे रे गुरू पूरा,
बार बार जन्म लेतो।।
गुरु कथन ने ऊ नही माने,
मनमानी रे करनी ने करतो,
उस मालिक ने दोष मत दीज्यो,
कर्मा रा र फल उ भरतो।।
Sent By – Mahaveer meena
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