तेरे हाथो में वीणा,
तू वीणा धारिणी है,
तेरे हांथों में पुस्तक,
तू विघा दायिनी है,
तेरे हाथों में वीणा,
तू वीणा धारिणी है।।
तर्ज – थोड़ा सा प्यार हुआ है।
कमल का आसन तेरा,
मैया उसपे विराजे,
अपने चरणों में जगह दे,
हम आये तेरे द्वारे,
देवी संगीत की,
तू ही स्वर दायिनी है,
तेरे हाथों में वीणा,
तू वीणा धारिणी है।।
ना लय स्वर ताल हममे,
मैया कैसे सुनाऊं,
ना मीठा स्वर हमारा,
कहो कैसे रिझाऊं,
मुझको भक्ति दे दो,
तू ही जग तारणी है,
तेरे हाथों में वीणा,
तू वीणा धारिणी है।।
मैं हूँ मुरख अज्ञानी मां,
तू है ज्ञानों की सागर,
ना भक्ति भाव हम में,
तू भर दे खाली गागर,
दया की भीख दे दो,
तू है चन्दन मैं पानी,
तेरे हाथों में वीणा,
तू वीणा धारिणी है।।
मेरे आँखों में जो आँसू,
वो मैया पोंछ देना,
दया का हाथ अपना,
तू मेरे सर पर रखना,
तू ही दूर्गा है माँ,
तू ही महाकाली है,
तेरे हाथों में वीणा,
तू वीणा धारिणी है।।
तेरे हाथो में वीणा,
तू वीणा धारिणी है,
तेरे हांथों में पुस्तक,
तू विघा दायिनी है,
तेरे हाथों में वीणा,
तू वीणा धारिणी है।।
– भजन प्रेषक –
जितेंद्र कृष्ण पाराशर जी
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