मूल महल में बसे गजानन,
नित उठ दर्शन पाता।
दोहा – सुंडाला दुःख भंजना,
सदा निवाला वेश,
सारो पहला सुमरिये,
गवरी नन्द गणेश।
मूल महल में बसे गजानन,
नित उठ दर्शन पाता,
गणपति दाता,
गुरु खोलो हृदय रा ताला,
गुरु मेटो मन रा धोखा,
गणपति दाता, गुरुदाता हो जी।।
पिता केविजे शंकर देवा,
गवरी तुम्हारी माता,
गणपति दाता, गुरुदाता हो जी,
गुरु खोलो हृदय रा ताला,
गुरु मेटो मन रा धोखा,
गणपति दाता, गुरुदाता हो जी।।
काँधे मूंज जनेउ सोहे,
गले फूलो री माला,
गणपति दाता, गुरुदाता हो जी,
गुरु खोलो हृदय रा ताला,
गुरु मेटो मन रा धोखा,
गणपति दाता, गुरुदाता हो जी।।
चार लाडू थारे सूंड पे चढ़ाऊ,
पान सुपारी रास लेता,
गणपति दाता, गुरुदाता हो जी,
गुरु खोलो हृदय रा ताला,
गुरु मेटो मन रा धोखा,
गणपति दाता, गुरुदाता हो जी।।
ठुमक ठुमक कर गणपत नाचे,
डाके ताल बजाता,
गणपति दाता, गुरुदाता हो जी,
गुरु खोलो हृदय रा ताला,
गुरु मेटो मन रा धोखा,
गणपति दाता, गुरुदाता हो जी।।
कहे कबीर सुनो भाई संतो,
गुरु मिलिया सुख पाता,
गणपति दाता, गुरुदाता हो जी,
गुरु खोलो हृदय रा ताला,
गुरु मेटो मन रा धोखा,
गणपति दाता, गुरुदाता हो जी।।
मूल महल में बसे गजानन,
नित उठ दर्शन पाता,
गणपति दाता,
गुरु खोलो हृदय रा ताला,
गुरु मेटो मन रा धोखा,
गणपति दाता, गुरुदाता हो जी।।
Singer – Bharat Panwar,
Sent By – Arjun prajapat,
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