हार की कोई चिंता नहीं,
पग पग होगी जीत,
लगी रे मेरी लगी रे मेरी,
लगी रे मेरी मैया जी से प्रीत,
मात मात का नगमा गाए,
मात मात का नगमा गाए,
ये जीवन संगीत,
लगी रे मेरी मैया जी से प्रीत।।
मौज से होने लगा गुजारा,
मैया ने हर काम संवारा,
सन्मुख मिलती मात भवानी,
जब जब माँ को मन से पुकारा,
देती नहीं विश्वास टूटने,
देती नहीं विश्वास टूटने,
माँ अम्बे की रीत,
लगी रे मेरी मैया जी से प्रीत।।
जब जब मन से माँ को पुकारा,
मैया का संदेसा आया,
मोह लोभ जो लगा भरमाने,
मैया ने खुद आप बचाया,
ऐसा किया मेरी मैया ने जादू,
ऐसा किया मेरी मैया ने जादू,
संवरा भविष्य अतीत,
लगी रे मेरी मैया जी से प्रीत।।
‘सरल’ भवानी का है चाकर,
हाथ पकड़कर तूने उबारा,
गम के थपेड़ो से डोली थी नैया,
बनके खिवैया मैया तूने तारा,
‘रामकुमार’ डूबेगा कैसे,
‘रामकुमार’ डूबेगा कैसे,
माँ से जिसकी प्रीत,
लगी रे मेरी मैया जी से प्रीत।।
हार की कोई चिंता नहीं,
पग पग होगी जीत,
लगी रे मेरी लगी रे मेरी,
लगी रे मेरी मैया जी से प्रीत,
मात मात का नगमा गाए,
मात मात का नगमा गाए,
ये जीवन संगीत,
लगी रे मेरी मैया जी से प्रीत।।
स्वर – रामकुमार जी लख्खा।