मोल बता गूजर की,
थारा माखन को,
छोड फरी अकड़ांई थोड़ो चाखण दो।।
कोरी मटक्यां माखन मीठो,
आज तोड़स्यूं थारो छींको,
पूरा देस्यूं दाम काम नहीं ठगणें को,
छोड फरी अकड़ांई थोड़ो चाखण दो,
मोल बता गुजर की,
थारा माखन को,
छोड फरी अकड़ांई थोड़ो चाखण दो।।
बालपणां की आदत म्हारी,
अब नहीं सुधरे देजा प्यारी,
राजी राजी मांगू लाल यशोदां को,
छोड फरी अकड़ांई थोड़ो चाखण दो,
मोल बता गुजर की,
थारा माखन को,
छोड फरी अकड़ांई थोड़ो चाखण दो।।
भूल गई फेल्यां की बातां,
आपां दोनी गायां चराता,
आणन्द लेता संग म झूला खावण को,
छोड फरी अकड़ांई थोड़ो चाखण दो,
मोल बता गुजर की,
थारा माखन को,
छोड फरी अकड़ांई थोड़ो चाखण दो।।
फिसल गई नादान गूजरी,
लियो सबड़को मंशा पूरी,
चेतन सैनी गाव छोरो माळ्यां को,
छोड फरी अकड़ांई थोड़ो चाखण दो,
मोल बता गुजर की,
थारा माखन को,
छोड फरी अकड़ांई थोड़ो चाखण दो।।
मोल बता गूजर की,
थारा माखन को,
छोड फरी अकड़ांई थोड़ो चाखण दो।।
– लेखक और सिंगर सिंगर –
चेतन सैनी रुस्तम गंज (टोंक)
मो- 9784896846