कुछ दे या ना दे श्याम,
इस अपने दीवाने को,
दो आँसुं तो दे दे,
चरणों में बहाने को।।
तर्ज – बचपन की मोहब्बत को
नरसी ने बहाये थे,
मीरा ने बहाये थे,
नरसी ने बहाये थे,
मीरा ने बहाये थे,
जब जब भी कोई रोया,
तुम दौड़ के आये थे,
काफी है दो बुँदे,
घनश्याम रिझाने को,
दो आँसुं तो दे दे,
चरणों में बहाने को।।
आँसु वो खजाना है,
किस्मत से मिलता है,
आँसु वो खजाना है,
किस्मत से मिलता है,
इनके बह जाने से,
मेरा श्याम पिघलता है,
करुणा का तु सागर है,
अब छोड़ बहाने को,
दो आँसुं तो दे दे,
चरणों में बहाने को।।
दुःख में बह जाते हैं,
खुशियों में जरुरी है,
दुःख में बह जाते हैं,
खुशियों में जरुरी हैं,
आंसू के बिना ‘संजू ‘,
हर आंख अधूरी हैं,
पूरा करते आँसु,
हर इक हर्जाने को,
दो आँसुं तो दे दे,
चरणों में बहाने को।।
कुछ दे या ना दे श्याम,
इस अपने दीवाने को,
दो आँसुं तो दे दे,
चरणों में बहाने को।।
प्रेषक – ऋषभ गुप्ता
8900365191
बहुत प्यारा भावपूर्ण भजन..????