खाटू से निकलते ही,
कुछ दूर चलते ही,
पाँव तो जाते ठहर,
साँवरे की यादों को लेके चले हैं जो,
आँखें तो जाती हैं भर,
सांवरे से होके जुदा,
रहना हुआ है मुश्किल,
दर्शन को फिर आएँगे,
इनको पुकारे ये दिल,
खाटु से निकलते ही,
कुछ दूर चलते ही,
पाँव तो जाते ठहर।।
तर्ज – घर से निकलते ही।
देखे उन्हे दिल तो करे,
झपके ना पलकें कभी,
ऐसा हसी दूजा नही,
होते दीवाने सभी,
वापस है जाना दिल तो ना माने,
आँखों से बहते ग़म के तराने,
धुँधला सी जाती है डगर,
खाटू जो आते हैं घर भूल जाते हैं,
बाबा से मिलती जब नज़र,
खाटु से निकलते ही,
कुछ दूर चलते ही,
पाँव तो जाते ठहर।।
हाथों से है दिल तो गया,
ऐसी बँधी डोर है,
दीवानो पे बाबा का ही,
चलता सदा ज़ोर है,
धड़कन में हैं वो तन मन में हैं वो,
साँसों में हैं वो जीवन में हैं वो,
दिखता है देखे हम जिधर,
बेबस तो है ‘चोखनी’,
‘टोनी’ ने हार मानी,
दीवानगी है इस क़दर
खाटु से निकलते ही,
कुछ दूर चलते ही,
पाँव तो जाते ठहर।।
खाटू से निकलते ही,
कुछ दूर चलते ही,
पाँव तो जाते ठहर।।
Singer – Sukhjeet Singh Toni