खाटू नगरी में ऐसा एक गुलाब है,
सारी दुनिया में सबसे लाजवाब है,
पूरा करता हर भक्तो के जो ख्वाब है,
क्या गुलाब है लाजवाब है,
खाटु नगरी में ऐसा एक गुलाब है,
सारी दुनिया में सबसे लाजवाब है।।
तर्ज – कब तक चुप बैठे अब तो कुछ।
कोई बोले नाव का माझी,
कोई हारे का सहारा,
कोई बोले भाई मेरा है,
कोई बोले बाबुल प्यारा,
क्या लिखू तू तो पूरी एक किताब है,
हाँ किताब है लाजवाब है,
खाटु नगरी में ऐसा एक गुलाब है,
सारी दुनिया में सबसे लाजवाब है।।
बांझण के पलने झुलाए,
अंधे को दर्श कराए,
लूले भी ताली बजाए,
लंगड़े निशान चढ़ाए,
इसकी किरपा का कोई ना हिसाब है,
क्या गुलाब है लाजवाब है,
खाटु नगरी में ऐसा एक गुलाब है,
सारी दुनिया में सबसे लाजवाब है।।
इसकी खुशबु से देखो,
सारी दुनिया है महकती,
जो शरण में तेरी आए,
किरपा उनपे है बरसती,
बदले किस्मत की रेखा जो ख़राब है,
हाँ ख़राब है लाजवाब है,
खाटु नगरी में ऐसा एक गुलाब है,
सारी दुनिया में सबसे लाजवाब है।।
जो शीश दान दे डाले,
बोलो क्या दे नहीं सकता,
इसलिए तो बिच बजरिया,
तेरा श्याम यही है कहता,
दुनिया में तुमसे बड़ा ना कोई नवाब है,
हाँ नवाब है लाजवाब है,
खाटु नगरी में ऐसा एक गुलाब है,
सारी दुनिया में सबसे लाजवाब है।।
खाटू नगरी में ऐसा एक गुलाब है,
सारी दुनिया में सबसे लाजवाब है,
पूरा करता हर भक्तो के जो ख्वाब है,
क्या गुलाब है लाजवाब है,
खाटु नगरी में ऐसा एक गुलाब है,
सारी दुनिया में सबसे लाजवाब है।।
स्वर – श्याम अग्रवाल जी।