श्याम तेरे मंदिर में,
जब बजता नगाड़ा है,
होती सुनाई उसकी,
जो किस्मत का मारा है,
श्याम तेरे मंदिर में।।
नौ रंग शाह के लिए,
उसकी बेगम ने अर्जी करी,
नगाड़ा चढ़ाया तो मिला,
उसे जीवन दोबारा है,
श्याम तेरे मंदिर मे,
जब बजता नगाड़ा है,
श्याम तेरे मंदिर में।।
आलूसिंह जी में तो,
पूरा जोश ये भर देता,
वो तो मस्ती में आ जाते,
हमने देखा नज़ारा है,
श्याम तेरे मंदिर मे,
जब बजता नगाड़ा है,
श्याम तेरे मंदिर में।।
आकर के फरियादी,
जब नगाड़े पे चोंट करे,
पूछते हो तुम उससे,
क्या दुखड़ा तुम्हारा है,
श्याम तेरे मंदिर मे,
जब बजता नगाड़ा है,
श्याम तेरे मंदिर में।।
तेरे इस नगाड़े को,
ये ‘बिन्नू’ नमन करता,
कीर्तन में जब बजता,
हमें लगता ये प्यारा है,
श्याम तेरे मंदिर मे,
जब बजता नगाड़ा है,
श्याम तेरे मंदिर में।।
श्याम तेरे मंदिर में,
जब बजता नगाड़ा है,
होती सुनाई उसकी,
जो किस्मत का मारा है,
श्याम तेरे मंदिर में।।
स्वर – सुनीता जी गोयल।