प्रेम का धागा तुमसे बांधा ये टूटे ना,
चाहे सब रूठे, मेरे बाबा तू रूठे ना,
चाहे सब रूठे, मेरे बाबा तू रूठे ना,
प्रेम का धागा तुमसे बाँधा ये टूटे ना,
चाहे सब रूठे, मेरे बाबा तू रूठे ना।।
तर्ज – दिल दीवाना बिन सजना के।
ना धन दौलत ना ही शोहरत,
और ना कोई खजाना,
दिल ये चाहे लगा रहे बस,
दर पे आना जाना,
तार जुड़े जो दर से अब वो टूटे ना,
चाहे सब रूठे, मेरे बाबा तू रूठे ना,
प्रेम का धागा तुमसे बाँधा ये टूटे ना,
चाहे सब रूठे, मेरे बाबा तू रूठे ना।।
मोह के बंधन छूट गए सब,
जब से जुड़ा हूँ तुमसे,
अब तो मिलता है हर गम भी,
मुस्कुरा के मुझसे,
थामे रहना हाथ कभी ये छूटे ना,
चाहे सब रूठे, मेरे बाबा तू रूठे ना,
प्रेम का धागा तुमसे बाँधा ये टूटे ना,
चाहे सब रूठे, मेरे बाबा तू रूठे ना।।
समझ के मुझको अपना तूने,
पकड़ी मेरी कलाई,
हर रस्ता आसान हुआ फिर,
बना जो तू हमराही,
जीवन पथ पे साथ तुम्हारा छूटे ना,
चाहे सब रूठे, मेरे बाबा तू रूठे ना,
प्रेम का धागा तुमसे बाँधा ये टूटे ना,
चाहे सब रूठे, मेरे बाबा तू रूठे ना।।
‘सोनू’ को बस यही शिकायत,
तुमसे यही गिला है,
इतनी देर से क्यों मेरे बाबा,
ये दरबार मिला है
अब ये सिलसिला जन्मोजन्म तक टूटे ना,
चाहे सब रूठे, मेरे बाबा तू रूठे ना,
प्रेम का धागा तुमसे बाँधा ये टूटे ना,
चाहे सब रूठे, मेरे बाबा तू रूठे ना।।
प्रेम का धागा तुमसे बांधा ये टूटे ना,
चाहे सब रूठे, मेरे बाबा तू रूठे ना,
चाहे सब रूठे, मेरे बाबा तू रूठे ना,
प्रेम का धागा तुमसे बाँधा ये टूटे ना,
चाहे सब रूठे, मेरे बाबा तू रूठे ना।।
स्वर – शीतल पाण्डे जी।