जितने वाले के सब साथी,
ये हारे का सहारा,
ऐसा श्याम हमारा,
ऐसा श्याम हमारा,
जिसकी नैया इसने थामी,
भव से पार उतारा,
ऐसा श्याम हमारा,
ऐसा श्याम हमारा।।
तर्ज – धरती सुनहरी अम्बर नीला।
जिसके संग में हो कन्हैया,
उसकी ना डूबे नैया,
मझधार भी क्या कर लेगा,
जब साथ हो ऐसा खिवैया,
इसकी कृपा से ही चलता,
हम जैसो का गुज़ारा,
ऐसा श्याम हमारा,
ऐसा श्याम हमारा।।
कलियुग में डंका बजता,
घर घर में इसकी कहानी,
खाटू से भेजता रहता,
भक्तो को दाना पानी,
गूँज रहा सारी दुनिया में,
एक यही बस नारा,
ऐसा श्याम हमारा,
ऐसा श्याम हमारा।।
जो जग से हार के आता,
ये उसको गले लगाता,
ये इसीलिए तो जग में,
हारे का साथी कहाता,
कहे ‘पवन’ जो शरण में आए,
कभी नही वो हारा,
ऐसा श्याम हमारा,
ऐसा श्याम हमारा।।
जितने वाले के सब साथी,
ये हारे का सहारा,
ऐसा श्याम हमारा,
ऐसा श्याम हमारा,
जिसकी नैया इसने थामी,
भव से पार उतारा,
ऐसा श्याम हमारा,
ऐसा श्याम हमारा।।