तुम्हारे वास्ते मोहन,
सभी दुःख हम उठाएंगे,
ना मुख मोड़ेंगे जीवन की,
तुम्हे बाजी लगाएंगे,
तुम्हारे वास्तें मोहन,
सभी दुःख हम उठाएंगे।।
सदा संतोष रखेंगे,
किसी से कुछ ना चाहेंगे,
छोड़ कर सारी चिंताए,
तुम्हारे गीत गाएंगे,
तुम्हारे वास्तें मोहन,
सभी दुःख हम उठाएंगे।।
कहेगा यदि भला कोई,
भला खुद को ना मानेंगे,
सुनाएगा खरी खोटी,
नही उस पर रिसाएंगे,
तुम्हारे वास्तें मोहन,
सभी दुःख हम उठाएंगे।।
बनेंगे दीन उपकारी,
तजेंगे स्वार्थी पन को,
तुम्हे अपना बनाने को,
सभी के काम आएँगे,
तुम्हारे वास्तें मोहन,
सभी दुःख हम उठाएंगे।।
मिटेंगे मन के जब सारे,
ये सुख दुःख द्वन्द के झगड़े,
मेरे प्राणेश मन मोहन,
तभी तो तुमको पाएँगे,
तुम्हारे वास्तें मोहन,
सभी दुःख हम उठाएंगे।।
तुम्हारे वास्ते मोहन,
सभी दुःख हम उठाएंगे,
ना मुख मोड़ेंगे जीवन की,
तुम्हे बाजी लगाएंगे,
तुम्हारे वास्तें मोहन,
सभी दुःख हम उठाएंगे।।
स्वर – श्री चित्र विचित्र जी महाराज।