वो प्यारी वो प्यारी तेरी छवि रे,
छवि बेमिसाल,
वो प्यारी वो प्यारी तेरी छवी रे,
वो कारी कजरारी तेरी आँखे,
वो कारी कजरारी तेरी आँखे,
माथे केसर तिलक लगा के,
घुंघराले बाल,
वो प्यारी वो प्यारी तेरी छवि रे।।
माखन कान्हा नेक चखा दे,
बांसुरिया फिर आज सुना दे,
सोया है संसार नचा दे,
पनहारी में प्रेम जगा दे,
मदन गोपाल,
वो प्यारी वो प्यारी तेरी छवी रे,
छवि बेमिसाल,
वो प्यारी वो प्यारी तेरी छवी रे।।
वो तेरा मटकी को गिरना,
राधे जी को खूब सताना,
मईया के आगे इठलाना,
वृन्दावन में धूम मचाना,
जादूगारी चाल,
वो प्यारी वो प्यारी तेरी छवी रे,
छवि बेमिसाल,
वो प्यारी वो प्यारी तेरी छवी रे।।
‘लहरी’ दिल को क्या समझाऊँ,
हाल हुआ क्या मैं बतलाऊँ,
बोल तुझे कैसे मैं मनाऊँ,
हो जाए दीदार क्या गाऊँ,
प्यारे नन्द लाल,
वो प्यारी वो प्यारी तेरी छवी रे,
छवि बेमिसाल,
वो प्यारी वो प्यारी तेरी छवी रे।।
वो प्यारी वो प्यारी तेरी छवि रे,
छवि बेमिसाल,
वो प्यारी वो प्यारी तेरी छवी रे,
वो कारी कजरारी तेरी आँखे,
वो कारी कजरारी तेरी आँखे,
माथे केसर तिलक लगा के,
घुंघराले बाल,
वो प्यारी वो प्यारी तेरी छवि रे।।
स्वर – उमा लहरी जी।