श्याम धणी सा ना कोई दातार है,
यकी ना आए ढूँढ़ लो संसार है,
हारे का सहारा शीश का है दानी,
दीनो के भरता सदा भंडार है,
श्याम धनी सा ना कोई दातार है,
यकी ना आए ढूँढ़ लो संसार है।।
तर्ज – दूल्हे का सेहरा।
श्याम की चौखट पे आ,
बिगड़ी बना देगा,
कैसी भी मुश्किल हो,
जड़ से ये मिटा देगा,
ऐसा ये मेरा बाबा लखदातार है,
ऐसा ये मेरा बाबा लखदातार है,
यकी ना आए ढूँढ़ लो संसार है,
श्याम धनी सा ना कोई दातार है,
यकी ना आए ढूँढ़ लो संसार है।।
बाबा अपने प्रेमी का,
विश्वास ना तोड़े,
उनकी डूबती नैया को,
मजधार ना छोड़े,
इस जैसा ना देखा खेवनहार है,
इस जैसा ना देखा खेवनहार है,
यकी ना आए ढूँढ़ लो संसार है,
श्याम धनी सा ना कोई दातार है,
यकी ना आए ढूँढ़ लो संसार है।।
हार कर जो जिन्दगी से,
हो जाते परेशान,
गिरने ना देता अंधियारी,
राहों में रखता ध्यान,
भक्तो सुन लो जग का पालनहार है,
भक्तो सुन लो जग का पालनहार है,
यकी ना आए ढूँढ़ लो संसार है,
श्याम धनी सा ना कोई दातार है,
यकी ना आए ढूँढ़ लो संसार है।।
‘रूबी रिधम’ को है भरोसा,
श्याम पे भारी,
बस इतनी चाहत गुण गाते,
बीते उमर सारी,
सच्चा मेरे श्याम का दरबार है,
सच्चा मेरे श्याम का दरबार है,
यकी ना आए ढूँढ़ लो संसार है,
श्याम धनी सा ना कोई दातार है,
यकी ना आए ढूँढ़ लो संसार है।।
श्याम धणी सा ना कोई दातार है,
यकी ना आए ढूँढ़ लो संसार है,
हारे का सहारा शीश का है दानी,
दीनो के भरता सदा भंडार है,
श्याम धनी सा ना कोई दातार है,
यकी ना आए ढूँढ़ लो संसार है।।
स्वर – विवेक अग्रवाल।