माँ एहलवती के प्यारे,
भगतो की आँख के तारे,
ओ लीले के असवार,
तुम्हारा क्या कहना,
ओ खाटु वाले श्याम,
तुम्हारा क्या कहना,
तुम्हारा क्या कहना।।
तुम कलयुग के अवतारी,
हों भक्तन के हितकारी,
जो आस लगाकर आवे,
उन सब की विपदा टाली,
हो श्याम बड़े बलशाली,
तेरी महिमा जग से निराली,
ओ लीले के असवार,
तुम्हारा क्या कहना,
ओ खाटू वाले श्याम,
तुम्हारा क्या कहना,
तुम्हारा क्या कहना।।
मैं जग से हार के आया,
बाबा है तेरा सहारा,
मेरी टूटी पड़ी है नैया,
तुम बनकर आओ खिवैया,
तुम हारे के हों सहारे,
मैं आया हूँ शरण तिहारे,
तुम हों दिनों के नाथ,
तुम्हारा क्या कहना,
ओ लीले के असवार,
तुम्हारा क्या कहना,
ओ खाटू वाले श्याम,
तुम्हारा क्या कहना,
तुम्हारा क्या कहना।।
तुम हों करुणा के सागर,
अब भरदो सबकी गागर,
मुझे बना के अपना नौकर,
दर का मुझे रखलो चाकर,
‘लक्की’ है तेरा सवाली,
ना भेजना दर से खाली,
दिल किया है तेरे नाम,
तुम्हारा क्या कहना,
ओ लीले के असवार,
तुम्हारा क्या कहना,
ओ खाटू वाले श्याम,
तुम्हारा क्या कहना,
तुम्हारा क्या कहना।।
माँ एहलवती के प्यारे,
भगतो की आँख के तारे,
ओ लीले के असवार,
तुम्हारा क्या कहना,
ओ खाटु वाले श्याम,
तुम्हारा क्या कहना,
तुम्हारा क्या कहना।।
– गायक एवं प्रेषक –
लक्ष्मी नारायण कुमावत (इंदौर)
संपर्क – 9926025633