तू शंकर का राज दुलारा,
गौरा माँ की आँख का तारा,
तुमको आना होगा,
तुमको आना होगा।।
तर्ज – नदियाँ चले चले रे धारा।
हो करते है पहले,
तेरी हम तो पूजा,
होता है दुनिया में,
हर काम दूजा,
सबकी की बिगड़ी को,
तू ही बनाए,
सबके भाग्यो को,
तू ही जगाये,
तुमको आना होगा,
तुमको आना होगा।।
सेवा में तेरी खड़े,
हम सभी तो,
भक्तो के प्यारे,
पधारो अभी तो,
भक्तो के मन की,
है इक तार बोले,
नैया है मजधार,
खाए जो डोले,
तुमको आना होगा,
तुमको आना होगा।।
रिद्धि और सिद्दी का,
तू ही है दाता,
चरणों में ‘शर्मा’,
है शीश झुकाता,
कर्मा रो पढ़ वाला,
गुण तेरे गाए,
‘कमल किशोर’ कवी,
तुमको बुलाए,
तुमको आना होगा,
तुमको आना होगा।।
तू शंकर का राज दुलारा,
गौरा माँ की आँख का तारा,
तुमको आना होगा,
तुमको आना होगा।।
स्वर – कमल किशोर जी कवी।