मैंने सुना है सांवरे हारे का देते साथ,
लो आ गया मैं हार के,
पकड़ो जी मेरा हाथ,
मैंने सुना है सांवरे हारे का देते साथ।।
तर्ज – मिलती है ज़िंदगी में।
कितने ही घाव सांवरे,
दिल पे लगे मेरे,
जब जब दिखाए दुनिया को,
तब तब हुए हरे,
सो ना सका हूँ दर्द में,
जाने में कितनी रात,
लो आ गया मैं हार के,
पकड़ो जी मेरा हाथ,
मैंने सुना है सांवरे हारे का देते साथ।।
हस हस के सह गया प्रभु,
गैरों की मार को,
पर मैं सह सका नहीं,
अपनों के वार को,
जिन पे भरोसा था सदा,
उनसे ही खाई मात,
लो आ गया मैं हार के,
पकड़ो जी मेरा हाथ,
मैंने सुना है सांवरे हारे का देते साथ।।
अंतिम सहारा मान के,
आया हूँ तेरे द्वार,
अब है तुम्हारा काम ये,
कैसे करोगे पार,
‘सोनी’ नहीं है आपसे,
छानी कोई भी बात,
लो आ गया मैं हार के,
पकड़ो जी मेरा हाथ,
मैंने सुना है सांवरे हारे का देते साथ।।
मैंने सुना है सांवरे हारे का देते साथ,
लो आ गया मैं हार के,
पकड़ो जी मेरा हाथ,
मैंने सुना है सांवरे हारे का देते साथ।।
स्वर – वंदना अरोड़ा।