बेटी की सुन लो पुकार,
मुझे कोंख में मत दो मार,
मुझे मत मारो, मुझे मत मारो,
मुझे मत मारो, मुझे मत मारो,
कन्या की सुन लो पुकार,
मुझे कोंख में मत दो मार।।
तर्ज – मेरा छोटा सा संसार।
मुझे पैदा जो ना करना था,
मुझे कौंख में फिर क्यों लाए थे,
जब आ ही गई थी जीवन में,
फिर गर्भ में क्यों मरवाए थे,
क्यों पाप किए हर बार,
मुझे कोंख में मत दो मार,
बेटी की सुन लों पुकार,
मुझे कोंख में मत दो मार।।
बेटी जब घर में आती है,
घर खुशियों से भर जाता है,
जीते जी स्वर्गो जैसा सुख,
इस जीवन में मिल जाता है,
बेटी लाती है बहार,
मुझे कोंख में मत दो मार,
बेटी की सुन लों पुकार,
मुझे कोंख में मत दो मार।।
मत सो अब जाग जा ओ प्राणी,
बेटी को कोंख मत मारो,
होने दो जनम तुम बेटी का,
बेटे के मोह को तुम त्यागो,
बेटी से बने संसार,
मुझे कोंख में मत दो मार,
बेटी की सुन लों पुकार,
मुझे कोंख में मत दो मार।।
बेटी की सुन लो पुकार,
मुझे कोंख में मत दो मार,
मुझे मत मारो, मुझे मत मारो,
मुझे मत मारो, मुझे मत मारो,
कन्या की सुन लो पुकार,
मुझे कोंख में मत दो मार।।
स्वर – राकेश काला।