नाभि रे कमल नेजा रोपिया हो,
राज सूरता ऊँची रे चढे।
दोहा – गुरु बीन्जारा ग्यान का,
और लाया वस्तु अमोल,
सौदागर साचा मिले,
वे ले सीर साठे तोल।
नाभी रे कमल नेजा रोपिया हो,
राज सूरता ऊँची रे चढे,
ऊँचो रे चढे ने नीचे जोवियो हो,
राज भारी भारी खेल करे,
हिरलो रा व्यापारिया हो,
राज मोती ओळख लेना।।
आमी सामी हाटड़ी ओ,
राज वानियो विनज करे,
मन तोला तन ताकड़ी हो,
राज तोलियो खबर पड़े,
हिरलो रा व्यापारिया हो,
राज मोती ओळख लेना।।
सबरण ओरण मोन्डियो हो,
राज हिरलो ऐरन चढे,
माथे घनोने वाला घाव पड़े हो,
राज हिरलो उछो चढे,
हिरलो रा व्यापारिया हो,
राज मोती ओळख लेना।।
नदी रे किनारे दो वाडियो हो,
राज मिर्गो अजब चरे,
बाण पच्चीसों रा ठोकिया हो,
राज मिर्गो यूही मरे,
हिरलो रा व्यापारिया हो,
राज मोती ओळख लेना।।
सोहन वनों रे बीच में हो,
राज हिरलो जगे मगे,
‘माली’ लिखमोजी री वीनती हो,
राज खोजियों खबर पड़े,
हिरलो रा व्यापारिया हो,
राज मोती ओळख लेना।।
नाभि रे कमल नेजा रोपिया हो,
राज सूरता ऊँची रे चढे,
ऊँचो रे चढे ने नीचे जोवियो हो,
राज भारी भारी खेल करे,
हिरलो रा व्यापारिया हो,
राज मोती ओळख लेना।।
प्रेषक – श्रवण सिंह राजपुरोहित।
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