वो कभी ना हारे,
जिसने किया विश्वास,
ऐसे कुछ ना मिलेगा,
चाहे रट ले एक एक सांस।।
तर्ज – सावन के महिना।
तू ना अकेला रोए,
दुनिया ये रोती है,
दिल में भरोसा जिनके,
जीत उनकी होती है,
बिना भरोसे कर ले,
चाहे तू लाखो उपवास,
ऐसे कुछ ना मिलेगा,
चाहे रट ले एक एक सांस।।
चाहे जप कर ले,
चाहे तप कर ले,
माला मनका से चाहे,
सारा तन भरले,
छप्पन भोग लगा ले,
फिर भी ना आए रास,
ऐसे कुछ ना मिलेगा,
चाहे रट ले एक एक सांस।।
मीरा ने रिझाया,
नरसी ने रिझाया,
‘योगी’ ये कैसे रिझुं,
ये जग को दिखाया,
देख भरोसा कर ले,
है तेरे आस पास,
ऐसे कुछ ना मिलेगा,
चाहे रट ले एक एक सांस।।
वो कभी ना हारे,
जिसने किया विश्वास,
ऐसे कुछ ना मिलेगा,
चाहे रट ले एक एक सांस।।
गायक – गोपाल शर्मा हारे।
प्रेषक – पियूष पन्त (करनाल)