कानूड़ो नी जाणे म्हारी प्रीत,
मैं तो बाल कंवारी रे,
मैं तो एकल कंवारी रे,
साँवरियो नी जाणे म्हारी प्रीत।।
जल जमुना में मैं तो,
पाणी ने गई थी कान्हा,
क़ानूड़ो उछाल्यो ठंडो नीर,
नीर लाग्यो अर रर रर रर,
कानुड़ो ना जाणे म्हारी प्रीत,
मैं तो बाल कंवारी रे,
मैं तो एकल कंवारी रे,
साँवरियो नी जाणे म्हारी प्रीत।।
जल जमुना में मैं तो,
न्हावण ने गई थी कान्हा,
क़ानूड़ो पकड़ियो म्हारो चीर,
चीर बोल्या चर रर रर रर,
कानुड़ो ना जाणे म्हारी प्रीत,
मैं तो बाल कंवारी रे,
मैं तो एकल कंवारी रे,
साँवरियो नी जाणे म्हारी प्रीत।।
मैं तो बैरागण कान्हा,
थारे रे नाम की,
क़ानूड़ो बाली ने किनी ख़ाक,
ख़ाक उडी खर रर रर रर,
कानुड़ो ना जाणे म्हारी प्रीत,
मैं तो बाल कंवारी रे,
मैं तो एकल कंवारी रे,
साँवरियो नी जाणे म्हारी प्रीत।।
बाई मीरा गावे,
गोविन्द रा गुण,
हिवड़ो ना झाले म्हारो धीर,
धीर बोल्या धर रर रर रर,
कानुड़ो ना जाणे म्हारी प्रीत,
मैं तो बाल कंवारी रे,
मैं तो एकल कंवारी रे,
साँवरियो नी जाणे म्हारी प्रीत।।
कानूड़ो नी जाणे म्हारी प्रीत,
मैं तो बाल कंवारी रे,
मैं तो एकल कंवारी रे,
साँवरियो नी जाणे म्हारी प्रीत।।
गायक – राजू भारती जी।