हे वीर भक्त बजरंग बली,
मैं तुझको आज रिझाता हूँ,
हे सिया चरण के दास मैं तेरी,
महिमा के गुण गाता हूँ।।
जय हो जय हो, जय हो जय हो,
जय हो जय हो, जय जय हो।
तर्ज – है प्रीत जहाँ की रीत सदा।
जब मेघनाथ का बाण चला,
लक्ष्मण को घायल कर डाला,
श्री राम की धीरज टूट गई,
जाने वो क्षण कैसा आया,
बोले हनुमत धीरज रखियें,
बोले हनुमत धीरज रखियें,
संजीवन बूटी लाता हूँ,
हे सिया चरण के दास मैं तेरी,
महिमा के गुण गाता हूँ।।
जय हो जय हो, जय हो जय हो,
जय हो जय हो, जय जय हो।
है राम प्रभु का हाल ये जो,
माँ अंजनी जी से कह देना,
सूरज उगने से पहले ही,
संजीवनी बूटी ले आना,
तेरी रक्षा करेंगे राम प्रभु,
तेरी रक्षा करेंगे राम प्रभु,
तेरी शक्ति को आज जगाता हूँ,
हे सिया चरण के दास मैं तेरी,
महिमा के गुण गाता हूँ।।
जय हो जय हो, जय हो जय हो,
जय हो जय हो, जय जय हो।
सिता की चिंता तो हनुमत,
दिन रात ही खाई जाती है,
कैसे मैं अवध को जाऊंगा,
यही चिंता मुझे सताती है,
उलझन में फसे है प्राण मेरे,
उलझन में फसे है प्राण मेरे,
ये उलझन तुम्हे बताता हूँ,
हे सिया चरण के दास मैं तेरी,
महिमा के गुण गाता हूँ।।
जय हो जय हो, जय हो जय हो,
जय हो जय हो, जय जय हो।
लाये हनुमत संजीवनी और,
सूरज को भी उगने ना दिया,
रावण के आगे राम का सर,
हनुमत ने कभी झुकने ना दिया,
है बात अमर ये दुनिया में,
है बात अमर ये दुनिया में,
‘आलम’ को यही समझाता हूँ,
हे सिया चरण के दास मैं तेरी,
महिमा के गुण गाता हूँ।।
जय हो जय हो, जय हो जय हो,
जय हो जय हो, जय जय हो।
हे वीर भक्त बजरंग बली,
मैं तुझको आज रिझाता हूँ,
हे सिया चरण के दास मैं तेरी,
महिमा के गुण गाता हूँ।।
जय हो जय हो, जय हो जय हो,
जय हो जय हो, जय जय हो।
स्वर – पुरुषोत्तम जी अग्रवाल।