हारे का सहारा है,
ये बाबा, हारे का सहारा है,
ये श्याम धणी तो अपनी,
नैया का किनारा है,
ये श्याम धणी तो अपनी,
नैया का किनारा है।।
तर्ज – हुस्न पहाड़ों का।
शीश का दानी देव निराला,
बाबा लीले घोड़े वाला,
लखदातार ये दीनदयाला,
लखदातार ये दीनदयाला,
साथी हमारा है,
ये बाबा, साथी हमारा है,
ये श्याम धणी तो अपनी,
नैया का किनारा है,
ये श्याम धणी तो अपनी,
नैया का किनारा है।।
खाटू में दरबार लगाए,
मोरछड़ी से सुख बरसाए,
बिगड़ी भगत की पल में बनाए,
बिगड़ी भगत की पल में बनाए,
जादूगारा है,
ये बाबा, जादूगारा है,
ये श्याम धणी तो अपनी,
नैया का किनारा है,
ये श्याम धणी तो अपनी,
नैया का किनारा है।।
जो भी इनकी शरण में आया,
पल में उसको गले से लगाया,
हारे को ‘सोनू’ इसने जिताया,
हारे को ‘सोनू’ इसने जिताया,
देवों में न्यारा है,
ये बाबा, देवों में न्यारा है,
ये श्याम धणी तो अपनी,
नैया का किनारा है,
ये श्याम धणी तो अपनी,
नैया का किनारा है।।
हारे का सहारा है,
ये बाबा, हारे का सहारा है,
ये श्याम धणी तो अपनी,
नैया का किनारा है,
ये श्याम धणी तो अपनी,
नैया का किनारा है।।
स्वर – राजू मेहरा जी।