आया था दर पे तेरे,
चौखट पे तेरी रोया था,
तूने थामा जो हाथ मेरा,
कारवा मेरा चलने लगा,
तूने थामा जों हाथ मेरा,
कारवा मेरा चलने लगा।।
तर्ज – जीता था जिसके लिए।
दर दर में भटका,
ठोकर भी खाया,
मिलने से पहले तुझे,
मिलने से पहले तुझे,
अपने भी रूठे,
पराए भी छूटे,
जुड़ने से पहले तुझे,
जुड़ने से पहले तुझे,
अंजान सारे रिश्ते,
हुए श्याम अपने,
तूने थामा जों हाथ मेरा,
कारवा मेरा चलने लगा।।
जब से सुना मैंने,
एक द्वार ऐसा,
गया जो ना हारा कभी,
गया जो ना हारा कभी,
संकट जो आया,
मुझ पे कभी तो,
आकर संभाला तभी,
आकर संभाला तभी,
अंधेरों में रोशन किया,
तूने जीवन हमारा,
तूने थामा जों हाथ मेरा,
कारवा मेरा चलने लगा।।
जीवन में छाई मेरे बहारे,
खुशियां ही खुशियां मिली,
खुशियां ही खुशियां मिली,
चाहत से बढ़कर,
दिया तुमने इतना,
‘आयुष’ ने ना सोचा कभी,
मैंने ने ना सोचा कभी,
‘निकिता’ कि यह कामना,
दर ना छूटे तुम्हारा,
तूने थामा जों हाथ मेरा,
कारवा मेरा चलने लगा।।
आया था दर पे तेरे,
चौखट पर तेरी रोया था,
तूने थामा जो हाथ मेरा,
कारवा मेरा चलने लगा,
तूने थामा जों हाथ मेरा,
कारवा मेरा चलने लगा।।
स्वर – आयुष सोमानी।