बेटी की शादी में,
माँ अम्बे को बुलाना है,
हाथ जोड़ दर पे खड़ा,
माँ अम्बे तुम्हे आना है,
बेटी की शादि में,
माँ अम्बे को बुलाना है।।
तर्ज – बाबुल का ये घर।
तेरी दया से माँ,
ये खुशियों का दिन आया,
निर्धन के घर तूने,
धन धान बरसाया,
तेरा शुकर मैया,
तेरा गुणगान गाना है,
बेटी की शादि में,
माँ अम्बे को बुलाना है।।
तेरी बदौलत माँ,
ये मेहन्दी की रात आई,
दिया वरदान तूने,
तब ये बारात आई,
माँ मेरी बेटी का,
तूने साथ निभाना है,
बेटी की शादि में,
माँ अम्बे को बुलाना है।।
फूलों और चुनरी से,
मैंने मंडप सजाया है,
उसके सम्मुख माँ,
तेरा भवन बनाया है,
तुम्हरे नाम का माँ,
मैंने जागरण कराना है,
बेटी की शादि में,
माँ अम्बे को बुलाना है।।
तेरे ही भरोसे माँ,
परिवार सारा है,
मैया अपने बच्चो का,
तू ही तो सहारा है,
माँ बेटे का तुमसे,
हर रिश्ता निभाना है,
बेटी की शादि में,
माँ अम्बे को बुलाना है।।
बेटी की शादी में,
माँ अम्बे को बुलाना है,
हाथ जोड़ दर पे खड़ा,
माँ अम्बे तुम्हे आना है,
बेटी की शादि में,
माँ अम्बे को बुलाना है।।
स्वर – राकेश काला।