छम छम छम छम बरसे सावन,
हरिद्वार में,
ल्यादे गोरा घोट भांग मेरी,
एडवांस में।।
सावन का यो मस्त महीना,
मन मेरे न मौहजा सै,
घोट दे गोरा ऐसी जो,
नशा कसुता हो जा सै,
घबरावे ना गोरा मैं तेरी,
खड़या सपोर्ट में,
लयादें गोरा घोट भांग मेरी,
एडवांस में।।
टोवन की भी जरूरत नहीं या,
पावे बगीचे बाग में,
लयादें गोरा हरी हरी में,
पीजियू गा एक सांस में,
लावे मत ना वार घणी मैं,
बैठया बाट में,
लयादें गोरा घोट भांग मेरी,
एडवांस में।।
‘सुखविंदर’ रोहिल्ला संघोई आल्हा,
मेले के मैं आरया से,
मलकीत रंगा इसकी गेला,
बम बम बम बम गा रया से,
गुरु मचल जी हरदम म्हारी,
बसते स्वास में,
लयादें गोरा घोट भांग मेरी,
एडवांस में।।
छम छम छम छम बरसे सावन,
हरिद्वार में,
ल्यादे गोरा घोट भांग मेरी,
एडवांस में।।
– गायक एवं प्रेषक –
सुखविंदर सिंह रोहिल्ला
8930517012