शंकर रो अवतार रे,
दोहा – शिव समान दाता नहीं,
विपत विदारन हार,
लजीया मारी राखजो,
शिव नंदी के असवार।
शंकर रो अवतार रे,
महादेव रो अवतार,
महादेवजी केविजे भूमि रा,
पाटवी हो राज,
कैलाशो रे माय रे,
वनवासो रे माय,
महादेव ने पार्वता खेले,
होकते हो राज।।
जीते जनो ने राज रे,
हारे जनो ने वेगा,
केवजो हो राज।।
अरे नोके पेलोडो डाव रे,
महादेव जी जीत्याने,
पार्वता हारीया हो राज।।
अरे नोके दुजोडो डाव रे,
महादेव जी जीत्याने,
पार्वता हारीया हो राज।।
नोके तीजोडो डाव रे,
महादेव जी जीत्याने,
पार्वता हारीया हो राज।।
अरे नोके चोथोडो डाव रे,
पार्वता जीत्याने,
महादेवजी हारीया हो राज।।
अरे हाले नान्दीये भार रे,
हवले हवले महादेव जी,
हालीया हो राज।।
अरे आकडी हेरी रे माय रे,
लिखमी घाटी रे माय,
देवी रो रथडो रे सामी,
आवियो हो राज।।
अरे बाबा अलगो जाय रे,
जोगी अलगो जाय,
रे जई रे जई मार्ग में,
एकलो हो राज।।
अरे गाले झोली में हाथ रे,
तीन पाता त्रिशूल,
काडीयो हो राज।।
अरे लिनो हाथों रे माय रे,
काला भैरव रो मातो,
बाडीयो हो राज।।
अरे नमीया सूरज बान रे,
चंद्रमा उतारे हरी री,
आरती ओ राज।।
शंकर रो अवतार रे,
महादेव रो अवतार,
महादेवजी केविजे भूमि रा,
पाटवी हो राज,
कैलाशो रे माय रे,
वनवासो रे माय,
महादेव ने पार्वता खेले,
होकते हो राज।।
गायक – प्रकाश माली जी।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818