अब हम गुरुगम आतम चिन्हा,
जो नित्य प्रकाश विभु,
नाम रूप आधार,
मति न लखे जेहि मति लखे,
सो सुद्ध अपर।
सरगुन तो सभी कथे,
निर्गुण कथे कबीर,
रामरतन तुलसी कथे,
जय जय रगुवीर।
अब हम गुरुगम आतम चिन्हा,
आउ नही जाऊ मरु नही जनमु,
ऐसी निश्चय कीन्हा,
अब हम गुरुगम आतम चीन्हा।।
भेख लिया जब दुख सुख त्यागा,
राम नाम रंग भीना,
घट घट में साहिब सत जान्या,
दुरमती दूरी कीन्हा,
अब हम गुरुगम आतम चीन्हा।।
भेख फकीरी सब कोई लेता,
ज्ञान फकीरी पथ जीना,
जिनके शब्द लगा सतगुरु का,
शीश काट धर दीना,
अब हम गुरुगम आतम चीन्हा।।
मरजीवा हो जग में बिसरू,
सवाल करू नही कीन्हा,
जिनकी कला सकल में वरते,
सो साहब हम लीना,
अब हम गुरुगम आतम चीन्हा।।
फिरनी फिरता मांगने खाता,
निरभय भया पद लीना,
अजगर इधर उधर ना डोले,
वाकू चुन हरि दीना,
अब हम गुरुगम आतम चीन्हा।।
भगती र नैंन ज्ञान रा दर्पण,
रवि वैराग मिल तिना,
धन सुख राम आतम मुख दरसे,
लखे संत परवीन,
अब हम गुरुगम आतम चीन्हा।।
अब हम गुरुगम आतम चिन्हा,
आउ नही जाऊ मरु नही जनमु,
ऐसी निश्चय कीन्हा,
अब हम गुरुगम आतम चीन्हा।।
– गायक एवं प्रेषक –
श्यामनिवास जी।
9024989481