बाबा हमें तेरी आदत हो गई है,
जीवन की सुबह तुम हो,
जीने की वजह तुम हो,
बाबा हमें तेरी आदत हो गयी है,
बाबा हमें तेरी आदत हो गयी है।।
मेरे अंधियारे जीवन में प्रभु,
तुमने ही बिखेरा उजियारा,
तुमने उम्मीद जगाई है,
जब जब जीवन में मैं हारा,
बाबा हमें तेरी आदत हो गयी है,
बाबा हमें तेरी आदत हो गयी है।।
मेरे सुख दुःख में तू संग सदा,
इतना मुझको अहसास है,
मेरा साथ ना छोड़ोगे बाबा,
इतना मुझको विश्वास है,
बाबा हमें तेरी आदत हो गयी है,
बाबा हमें तेरी आदत हो गयी है।।
मुझे याद है जीवन के वो दिन,
अपनों ने मुझे रुलाया था,
तुमने ये आंसू पोंछे थे,
और अपने गले लगाया था,
बाबा हमें तेरी आदत हो गयी है,
बाबा हमें तेरी आदत हो गयी है।।
तू आस मेरी विश्वास मेरा,
‘रोमी’ इतना कह सकता है,
कोई भुल के अपनी स्वासों को,
जिंदा कैसे रह सकता है,
बाबा हमें तेरी आदत हो गयी है,
बाबा हमें तेरी आदत हो गयी है।।
बाबा हमें तेरी आदत हो गई है,
जीवन की सुबह तुम हो,
जीने की वजह तुम हो,
बाबा हमें तेरी आदत हो गयी है,
बाबा हमें तेरी आदत हो गयी है।।
स्वर तथा रचना – रोमी जी।