देखो दुनिया भोली रे संतो,
दोहा – राम नाम री झोपडी ने,
पापी रा दस गांव,
आग लगो उस गाँव को,
जहाँ नहीं राम का नाम।
देखो दुनिया भोली रे संतो,
देखो दुनिया भोली रे,
राम सिमरता लाज मरे रे,
गलीयो मे खेले होली हो जी।।
अरे माटी री गणगौर बनाई,
सखीया पूजन हाली ओ,
पुतली पानी मे राली,
अमे माटी गलवा लागी ओ जी,
देखों दुनिया भोली रे संतो,
देखों दुनिया भोली रे।।
ओटा थापने पत्थर पूजे,
तेल सिन्दूर चढावे ओ,
पूजतो पूजारी लेगीयो,
अमे देव कुतरा चाटे ओ जी,
देखों दुनिया भोली रे संतो,
देखों दुनिया भोली रे।।
अरे गेहूं गेगरा मोट बाजरी,
घर मे आगा बेले ओ,
कांकडो रा आका लेने,
अमे होमीयो ने देवे ओ जी,
देखों दुनिया भोली रे संतो,
देखों दुनिया भोली रे।।
भोपा धुजे ने माथो हिलावे,
खाली घूमर गाले ओ,
बकरीयो रा शिश काटने,
अमे हरी ने हेलो मारे ओ जी,
देखों दुनिया भोली रे संतो,
देखों दुनिया भोली रे।।
अरे स्वर्गापुर मे नही उपडो,
नहीं उकल ने घंटी ओ,
रामानंद रा बने कबीरा,
अमे किकर खावा रोटी ओ जी,
देखों दुनिया भोली रे संतो,
देखों दुनिया भोली रे।।
देखो दुनिया भोली रे संतो,
देखो दुनिया भोली रे,
राम सिमरता लाज मरे रे,
गलीयो मे खेले होली हो जी।।
गायक – प्रकाश माली जी।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818