हमे गुरुदेव तेरा सहारा ना मिलता,
ये जीवन हमारा दौबारा ना मिलता।।
तर्ज – हमें और जीने की।
सांसो की सरगम मध्यम हुई थी,
जीनै की आशा भी झीलमील हुई थी,
तेरे नाम का जो सहारा ना मिलता,
ये जीवन हमारा दौबारा ना मिलता।।
रिश्तों की चौखट पे ठोकर जो खाई,
अपने परायौ की समझ में तो आई,
सच्चा जो तेरा सहारा ना मिलता,
ये जीवन हमारा दौबारा ना मिलता।।
मौजो की मस्ती में कश्ती ढुबौई,
जब सब लुटा तो तेरी याद आई,
कश्ती को जो तेरा सहारा ना मिलता,
ये जीवन हमारा दौबारा ना मिलता।।
सांसो की सरगम मध्यम हुई थी,
जीनै की आशा भी झीलमील हुई थी,
तेरे नाम का जो सहारा ना मिलता,
ये जीवन हमारा दौबारा ना मिलता।।
हमे गुरुदेव तेरा सहारा ना मिलता,
ये जीवन हमारा दौबारा ना मिलता।।
सिगंर – असलम मीर मालपुरा
9509045312
इस भजन मे पुर्ण सच्चाई है।क्यों की सद्गुरू के सहारा बीना इंसान ये अथांग भवसागर पार करही नही सकता।